क्या अपने ही घर में बेघर हो जायेंगे 650 परिवार ! जानिये पूरा मामला

बेघर होने को विवश है तकरीबन 650 हिन्दू परिवार। मामला साहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल प्रखंड के पूर्वी नारायणपुर गांव का है। रांची हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में प्रशासन की ओर से गांव के उन परिवारों को बेघर करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

क्या अपने ही घर में बेघर हो जायेंगे 650 परिवार ! जानिये पूरा मामला
Sahebganj, Narayanpur villagers

साहिबगंज, झारखण्ड ।

अपने ही घर से बेघर होने को विवश है तकरीबन 650 हिन्दू परिवार। मामला साहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल प्रखंड के पूर्वी नारायणपुर गांव का है। रांची हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में प्रशासन की ओर से गांव के उन परिवारों को बेघर करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। राजमहल एसडीओ रोशन शाह की अगुवाई में प्रशासनिक पदाधिकारियों एवं पुलिस की टीम पूर्वी नारायणपुर गांव में पहुंच कर संबंधित इलाके की जमीन का नापी कार्य शुरू कर दिया। हालांकि नापी कार्य का प्रभावित परिवारों ने इसका पुरजोर विरोध किया है। यह इलाका अनसर्वेड लैंड है, ग्रामीणों का आरोप है कि कतिपय बांग्लादेशी घुसपैठियों के द्वारा प्रशासन की आंख में धूल झोंक कर उन लोगों को बेघर करने की कोशिश की जा रही है, जिसे वे लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे, जरूरत पड़ी तो वे लोग संथाल परगना के आयुक्त के न्यायालय के साथ-साथ हाईकोर्ट की शरण भी लेंगे। वादी ने हाईकोर्ट की शरण में जाकर साहिबगंज उपायुक्त के उक्त आदेश को अनुपालन कराने की गुहार लगाई थी। इधर हाईकोर्ट ने उपायुक्त न्यायालय के लंबित उस आदेश को अनुपालन कर इसकी रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। 

1971 में मिली थी भारत की नागरिकता

दरअसल साहेबगंज के राजमहल प्रखंड अंतर्गत पूर्वी नारायणपुर का इलाका अनसर्वेड रहा है। यहां निवास करने वाले तकरीबन 650 हिन्दू परिवार इस इलाके के लगभग 25 सौ बीघा जमीन पर वर्षों से रह रहे है। उक्त जमीन पर ये लोग लोग निवास करने के साथ-साथ जीविकोपार्जन के लिए खेती बड़ी भी करते रहे हैं। यहां के ग्रामीणों के पास उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार वर्ष 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उस समय के पूर्वी पाकिस्तान और वर्तमान बांग्लादेश के इलाके से ये हिंदू परिवार भाग कर यहां पहुंचे थे। जिनको सरकार की ओर से उस इलाके में बसो वास करवाया गया था। यहां के ग्रामीणों की माने तो वर्ष 1971 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के कार्यकाल में उन लोगों को भारत देश की नागरिकता मिली थी। साथ ही वर्ष 1987 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के कार्यकाल में पूर्वी नारायणपुर का लगभग 25 सौ बीघा जमीन अधिकृत कर उन लोगों को सरकार की ओर से इसका कागजात दिया गया था। 

हाइकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन तेज 

जानकारी के अनुसार पूर्वी नारायणपुर के उक्त अनसर्वेड लैंड पर अपना मालिकाना हक जताते हुए वर्ष 2012-13 में पूर्वी नारायणपुर मुर्गी टोला के निवासी मोहम्मद यूसुफ समेत अन्य ने उपायुक्त साहिबगंज के न्यायालय में एक वाद दाखिल किया था, जो काफी समय तक लंबित रहा था। बाद में बस 2019-20 में लंबित वाद को लेकर रांची हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। हाई कोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2020 में जमीन को लेकर उपायुक्त ने निर्णय देते हुए सीमांकन कार्य कराने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट के मिले निर्देश के आलोक के बाद प्रशासन की ओर से की जा रही कार्रवाई पर विरोध जताते हुए यहां के ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासनिक चुक का खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि जमीन से संबंधित समस्त कागजात उनके लोगों के पास उपलब्ध है, फिर भी उन लोगों को बेघर होने की नौबत आ गई है। लगभग 60 वर्षों से उक्त जमीन पर लोग रह रहे हैं।