सुप्रीम कोर्ट तय करेगी हेमंत सोरेन ईडी पूछताक्ष में शामिल होंगे या नहीं, दाखिल की याचिका

ED के समन के खिलाफ झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। आज उन्हें पूछताक्ष के लिए ईडी दफ्तर पहुंचना था।

सुप्रीम कोर्ट तय करेगी हेमंत सोरेन ईडी पूछताक्ष में शामिल होंगे या नहीं, दाखिल की याचिका


रांची/दिल्ली

लैंड स्कैम मामले में ED के सवालों का सामना करने सीएम हेमंत सोरेन को आज ईडी कार्यालय पहुंचना था, लेकिन वे नहीं गये। इसके जवाब में सीएम हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट गये हैं। उन्होंने ईडी के समन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। उधर सीएम सचिवालय की ओर से एक कर्मी सूरज कुमार सीलबंद लिफाफे लेकर ईडी ऑफिस पहुंचे। उसने सीलबंद लिफाफा अधिकारियों को सौंपा है। सीएम हेमंत सोरेन को ED ने 8 अगस्त व 19 अगस्त को समन जारी कर 14 अगस्त और 24 अगस्त को हाजिर होने के कहा गया था।

ऑफिस के बाहर रही गहमागहमी

हालांकि गुरूवार को ईडी कार्यालय के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। ईडी कार्यालय के बाहर दो घंटे से अधिक समय तक हलचल बढ़ी हुई थी। कार्यालय के बाहर जैप के जवानों की तैनाती की गयी थी ।

पहले भी हेमंत सोरेन से ईडी की टीम कर चुकी है पूछताछ

कथित भूमि घोटाला केस को लेकर ईडी की ओर से समन के पहले भी सीएम हेमंत सोरेन को अवैध खनन मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियां पूछताछ कर चुकी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अब तक दो अलग-अलग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से समन दिया जा चुका है। इससे पहले ED ने पिछले साल 2 नवंबर 2022 और फिर 18 नवंबर 2022 को अवैध खनन मामले में हेमंत सोरेन से 10 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।

क्या है एसएलपी, कब किया जाता है इस्तेमाल

यदि कोई भी पक्ष अपीलीय अदालत के फैसले से असंतुष्ट है, तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक और अपील की जा सकती है। इन अपील प्रक्रियाओं के लिए दिशानिर्देश अनुच्छेद 132 से 136 तक प्रदान किए गए हैं। अपीलों का एक विशेष वर्ग है, जो अदालतों और न्यायाधिकरणों के सामान्य पदानुक्रम का पालन नहीं कर सकता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 136, सर्वोच्च न्यायालय को देश में किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा किए गए किसी भी मामले या मामले में किसी भी फैसले या आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए विशेष अनुमति देने की अनुमति देता है।अपील उस मामले में की जा सकती है जहां कानून का एक बड़ा सवाल शामिल है या जहां घोर अन्याय देखा गया है। जिस निर्णय, डिक्री या आदेश के खिलाफ अपील की जा रही है, वह न्यायिक निर्णय की प्रकृति का होना चाहिए।