अमेरिका के 186 बैंक डूबने के कगार पर, फेड रिजर्व के फैसले पर इकॉनमी खतरे में

मार्च में अमेरिका के 4 बड़े बैंक डूब चुके हैं और हालिया रिपोर्ट की माने तो सिलिकन वैली बैंक की तरह ही 186 बैंक डूबने के कगार पर है। फिलहाल ये बैंक ग्राहकों के दम पर चल रहा है। सरकार ने गर कोई ठोस कदम नहीं उठाया और ग्राहकों ने पैसे निकालने शुरू कर दिये तो इन बैंकों को भी डूबने से कोई नहीं बचा सकता।

अमेरिका के 186 बैंक डूबने के कगार पर, फेड रिजर्व के फैसले पर इकॉनमी खतरे में


अमेरिका,


मार्च में अमेरिका के 4 बड़े बैंक डूब चुके हैं और हालिया रिपोर्ट की माने तो सिलिकन वैली बैंक की तरह ही 186 बैंक डूबने के कगार पर है। फिलहाल ये बैंक ग्राहकों के दम पर चल रहा है। सरकार ने गर कोई ठोस कदम नहीं उठाया और ग्राहकों ने पैसे निकालने शुरू कर दिये तो इन बैंकों को भी डूबने से कोई नहीं बचा सकता। सोशल साइंस रिसर्च नेटवर्क स्टडी ने मॉनिटरी टाइटनिंग एंड यूएस बैंक प्रेजिलिटी इन 2023 के रिपोर्ट की माने तो 186 बैंक पर खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश पर रिटर्न पहले ही काफी कम हो चुके हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अनइनश्योर्ड डिपॉजिटर्स में संशय बढ़ रहा है और आधे जमाकर्ता ने भी पैसे निकाल लिये तो इन बैंकों का खतरा बढ़ जायेगा। 

300 अरब डॉलर दांव पर

सोशल साइंस रिसर्च नेटवर्क स्टडी की मानें तो 186 बैंकों में जमा 300 अरब डॉलर पर खतरा बना हुआ है। इसका आधा पैसे भी ग्राहकों ने निकाले तो हाल सिलिकन वैली बैंक जैसा हो जायेगा। सिलिकन वैली के साथ ही यही हुआ, उसके निवेश पर रिटर्न घटा और जमाकर्ताओँ ने अपने पैसे निकालने शुरू कर दिये। जिससे पूरा बैंक बर्बाद हो गया। 

बैंकों की सबसे बड़ी चिंता

फिलहाल बैंकों की सबसे बड़ी चिंता है बढ़ती व्याज दर। अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दर बढ़ा देती है। इससे सरकारी सिक्योरिटीज और बॉन्ड में लगे बैंकों के पैसों का रिटर्न कम हो जाता है। इसका असर बैंकों की देनदारी पर पड़ता है और कस्टमर्स पर पैसे निकालने का दबाव बनता है। ऐसी परिस्थितियों में ही सिलिकन वैली बैंक ने अपने एसेट्स को 16 हजार करोड़ रूपये के नुकसान में बेच दिया और इसका पता लगते ही ग्राहकों ने पैसे निकालने शुरू कर दिये। 

सरकार ही सहारा

सोशल साइंस रिसर्च नेटवर्क स्टडी के रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इन बैकों को कोई बचा सकता है तो सिर्फ सरकार। अगर इन बैंकों को बच निकलने का कोई रास्‍ता नहीं दिया गया तो बड़ा आर्थिक संकट आ सकता है। इन में से 10 फीसदी बैंकों का मार्केट कैप सिलिकन वैली बैंक से भी कम है। इन हालातों में गर  सरकार की ओर से बैंकों को पूंजी उपलब्‍ध नही कराई गयी तो दुनिया की सबसे मजबूत और बड़ी इकॉनामी की हालात बद से बदतर हो सकती हैं।