'हो' भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना

"हो" भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर 4 राज्यों के आदिवासी हो समाज के लोगों नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर धरना सह प्रदर्शन किया।

'हो' भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना


दिल्ली,


"हो" भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर आदिवासी हो समाज युवा महासभा की अगुवाई में देश के विभिन्न राज्यों से "हो" समाज के हजारों लोगों ने एकजुट होकर आज नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर धरना सह प्रदर्शन किया। इसमें असम, बंगाल, उडीसा, झारखंड, आदि राज्यों से "हो" समाज के लोगों ने भाग लिया। आदिवासी "हो" समाज युवा महासभा, आदिवासी "हो" समाज महासभा, आदि संस्कृति विज्ञान संस्थान, "हो" स्टूडेंट युनियन, भुवनेश्वर, आदिवासी कल्याण केन्द्र, किरीबुरू, कोल हो हयम सनागोम सोसाइटी, बंगाल, दिसुम दिल्ली, आल इंडिया हो लैंग्वेज एक्सन कमिटी, मानकी मुन्डा संघ से गणेश पाठ पिंगुवा के साथ ही सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा और जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिंकु सहित अन्य ने भाग लिया। 


40 लाख की है आबादी

इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि *भाषा वैचारिक आदान प्रदान के लिए जरूरी है। भाषा के बिना समाज अधूरा है। भले ही हम सब अलग अलग संगठन से हों, अलग अलग प्रदेश से हों इसके बाद भी "हो" भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की हमारी मांग एक है। हम सबको मिलकर भाषा के लिए लड़ना है। "हो" भाषा हमारी मातृभाषा है, हमारी पहचान है। "हो" भाषा-भाषी लोगों की जनसंख्या 40 लाख से भी अधिक है। हमारी मांग बिल्कुल जायज है। "हो" भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर मैं समाज के साथ हूं, समाज के साथ कदम से कदम मिलाते हुए हर संघर्ष के लिए तैयार हूं। श्रीमती कोड़ा ने आगामी जनगणना में अलग धर्म कोड का आह्वान भी किया।