मरांग बुरू सांवता सुसार बैसी ने पीएम को लिखा पत्र, सरना धर्मकोड के साथ साथ मरांग बुरू व लुगु बुरू का किया जिक्र

मरांग बुरू सांवता सुसार बैसी ने पीएम को लिखा पत्र, सरना धर्मकोड के साथ साथ मरांग बुरू व लुगु बुरू का किया जिक्र
File Photo
रांची
मरांग बुरू सांवता सुसार बैसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि संवैधानिक प्रदत अधिकार को संरक्षित करने के लिए सरना/ आदिवासी धर्म कॉलम कोड को आने वाली देष की जनगणना में शामिल करे। मरांग बुरु में संताल जन-जातियों को रूढ़िवादी एवं प्रम्परागत रीति-रिवाज से जुग जाहेर में पुजा अर्चना और तीन दिनों का धार्मिक अनुष्ठान का अधिकार दिया जाए और लुगूबुरु (लुगू पहाड़) घांटा बाड़ी धोरोम गढ़ में प्रस्तावित 1500 मेगावाट हाईडल पंप्ड स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट को सदा के लिए अभिलंब रद्द किया जाए।
आजादी से पूर्व जनगणना में जनजातियों के लिए कोड की व्यवस्था थी।
पत्र में आदिवासी संगठनों ने कहा है कि झारखंड के सावा करोड जन जातियों की ओर से जोहार एवं स्वागत। झारखंड के जन-जातियो समाज का सामाजिक, धार्मिक, परम्परा, रुढीवाद एंव सास्कृतिक अस्तित्व का संरक्षण के लिए निम्न मांगे आप से करते हैं।
(1) सरना धर्म कोड देश स्तर में जन जातियो कि जनसंख्या लगभग 16 करोड़ है जो प्राकृतिक को अपना इष्टदेव मानकर पूजा अर्चना करते है महोदय अंग्रेज शासन काल में 1871 ई से जनगणना की गई है उक्त जनगणना में जनजातियो के लिए अलग जनगणना कॉलम का प्रावधान था जो निम्न है:-
(2) 1871 ई में दर्ज है- अन्य (OTHER)
(3) 1881 ई में दर्ज है ऐबोर्जिनल (ABORGINAL)
(4) 1891 ई में दर्ज है ऐनिमिस्टिक (ANIMISTIC)
(5) 1901 ई में दर्ज है (6) 1911 ई में दर्ज है ऐनिमिस्टिक (ANIMISTIC) ऐनिमिस्टिक (ANIMISTIC)
(7) 1921 ई में दर्ज है ट्राइबल रेलिजन्स (TRIBAL RELIGON)
(8) 1931 ई में दर्ज है (9) 1941 ई में दर्ज है ट्राइबल रेलिजन्स (TRIBAL RELIGON) ट्राइबस (TRIBE)
(10) 1951 ई में दर्ज है OTHER RELIGONS (TRIBAL)
महोदय उपरोक्त दस्तावेज से प्रतीत होता है कि अंग्रेज शासन काल में और वर्तमान समय में संवैधानिक रूप से दर्ज जन-जातियों की जनगणना में अलग धर्म कोड 1871 ई से लेकर स्वतन्त्र भारत कि प्रथम जनगणना 1951 ई तक व्यस्था दी गई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश 1961 ई की जनगणना में जन-जातियो से सम्बंधित जनगणना धर्म कोड को विलोपित कर दिया। अतः देश के 16 करोड जनजातियो के लिए संविधान के अनुछेद (25) के तहत आजादी के पूर्व और आजादी के पश्चात् जनगणना कोड का पुर्नावलोकन करते हुए जन-जातियों के लिए जनगणना में अलग से सरना/ आदिवासी धर्म कॉलम कोड की व्यस्था की जाय।
पत्र का मजमून
1 (क) ऐतिहासिक राजी पाढहा जतरा खूँटा शक्ति स्थल मुडमा का जीर्णोद्धार एवं उक्त भूमि का अधिग्रहण किया जाय।
(2.) मरांग बुरु (परसनाथ पहाड):- हम संताल जन-जातियों की धार्मिक, सामाजिक एवं
रुढीवाद परम्परा और पौराणिक कथाओं के अनुसार मरांग गुरु समस्त संताल जन-जातियों के सर्वश्रेष्ठ इष्टदेव है और सवप्रथम मरांग बुरु का ही सृष्टि काल से पूजा करते आ रहे है मानव की सृष्टि काल में मराग बुरु ने ही मरांग बुरु (परसनाथ पहाड) में मानवी का भरण-पोषण किये थे। इसलिए झारखण्ड के 60 लाख और देश विदेश के सावा करोड संताल के सर्वश्रेष्ठ इष्टदेव है। मरांग बुरु में सताल के वैशाख पूर्णिमा में तीन दिनों के धार्मिक, सामाजिक विचार-विमर्श और सेंदरा से आहत जैन समुदाय और संताल जनजातियों बीच न्यायिक लडाई लड़ी गई। जिसमे जैनों को पराजित होना पड़ा पराजित के पश्चात् जैनों ने 1911 ई में Privy Council landon में अपील की गई। अपील का निर्णय आया कि बैशाख पूर्णिमा में संताल समुदाय तीन दिनों का धार्मिक शिकार करने का परम्परा मराग बुरु में है जिसमे संताल परगना, मानभूम, सिंहभूम के समस्त संताल समुदाय भाग लेते है। Privy Council landon का निर्णय हजारीबाग जिला के गजट वर्ष 1957 के पेज 234-235 में प्रकाशित किया गया है।
पुनः केंद्र सरकार के पत्र संख्या 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के आलोक में झारखण्ड सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र में लिखा है कि झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिलान्तर्गत पारसनाथ सम्मेद षिखर पौराणिक काल से ही जैन समुदाय का विष्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैप धर्म के कुल 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है। जबकि संताल के सर्वश्रेष्ठ इष्टदेव मराग बुरु और युग जाहेर गढ़ का झारखण्ड सरकार ने कोई उलेखित नहीं किये है। झारखण्ड सरकार के उक्त पत्र से भारत देश से लेकर विश्व के समस्त संताल समुदाय आहत और धार्मिक, सामाजिक, रुढीवाद परम्परा का अस्तित्व खतरे में है अतः Privy Council landon का निर्णय हजारीबाग जिला के गजट वर्ष 1957 के पेज 234-235 में प्रकाशित एवं संविधान के अनुछेद (13) (3) (25) दी गई अधिकार का अवलोकन करते हुए मरांग बुरु युग जाहेर को पुनः संताल समुदाय के धार्मिक धरोहर, एवं धार्मिक आस्था का केंद्र को वापस किया जाय।
(3.) लुगु पहाड़ :- संताल समुदाय भारत देश में आदि मानव में से एक है और मानव जाति के सृष्टि काल से ही संताल समाज सभ्यता के विकास में लुगु बुरु धीरी चटायनी में लुगु बाबा के नेतृत्व में समस्त संतालों को 12 वर्षों तक धार्मिक, सामाजिक, रीतिरिवाज, रूढ़ीवाद, और संस्कृतिक, परम्परागत सव्शासन व्यस्था पर शिक्षित किये थे इस परम्परा और रूढीवाद को संविधान के अनुछेद (13) (3) के तहत एक विधि या कानून है।
आज भी लुगू बाबा का धीरी दोलान लुगू पहाड़ के उत्तरी चोटी में स्थित है, जहां झारखंड राज्य सहित पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश एवं विष्च के संताल जैसे नेपाल, भूटान, बांग्लादेश से सोहराय कुनामी (कार्तिक पूर्णिमा) के 5 दिन पहले 8 किलोमीटर दुर्गम पहाड़ी के रास्ते चल कर लुगू बाबा के धीरी दोलान में पूजा अर्चना संताल रूढ़िवादिता परंपरा के तहत करते हैं, और माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं, और लुगू बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करते है। आज भी इस अवसर पर घाटा बाड़ी दोरबार चाटानी में तीन दिनों तक सारना धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जाता है जिसमें विष्व के 10-12 लाख संताल प्रति वर्ष सोहराय कुनामी (कार्तिक पूर्णिमा) लुगु बुरु में दर्शन करने आते हैं झारखंड सरकार ने 2018 से राजकिय महोत्सव का दर्जा दिया गया है।
लुगूबुरु (लुगू पहाड) में दामोदर घाटी निगम द्वारा 1500 मेगावाट का हाईडल पम्प स्टोरेज प्रोजेक्ट स्थापित करने हेतु प्रस्तावित है। जिसका सर्व कार्य पिछले कई दिनों से अनेकों बार हो चुका है एवं आगे भी परियोजना स्थापित हेतु सर्वे प्रक्रिया कार्य किया जा रहा है। उक्त पावर प्रोजेक्ट निर्माण से आदिवासी संताल समुदाय का धार्मिक आस्था का अस्तिव संकट में पड़ जायगा। इसलिए प्रस्तावित हाईडल पंम्प स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट को सदा के लिए अभिलंब रद्द किया जाए।