पति का मौत बन गया तमाशा!

पति का मौत बन गया तमाशा!

जी हां , बागुनहातू की रहने वाली एक बेबस  महिला ( मौमिता राय )  अपने दिवंगत पति के मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए दर - दर भटक रही है। विगत  9 माह से वो मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति ( जेएनएसी ) का चक्कर काट रही है। वैसे तो मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करना कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है। परंतु मौमिता राय के साथ जो कुछ हुआ है वह हैरान कर देने वाली बात है। 
पीड़िता अब डालसा की शरण में गई है।  पीएलवी नागेन्द्र कुमार से एमजीएम लीगल एड क्लीनिक में उसने संपर्क साधा और आपबीती बताई। उसने बताया कि उसके पति  विगत 18 अगस्त 2022 को  नदी में डूब गये थे। उस वक्त पांच चश्मदीदों के बयान पर पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर खोजबीन की गई। तीन दिनों तक खोजबीन की गई।  परंतु मृतक का शव नहीं मिला। बताया गया कि एनडीआरएफ की 19 सदस्यीयें  टीम , खोताखोर मिलकर खोजबीन किये परंतु शव का कोई सुराग नहीं मिला।  मौमिता के पति के नदी  में डूबे नौ माह बीत चुके हैं। ऐसे में कागजी औपचारिकता पूरी नहीं होने के कारण पति के मौत का मौमिता के पास कोई प्रमाण नहीं है फलस्वरूप वो सामाजिक सुरक्षा के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित है। घर का खर्चा और बच्चें का पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो गया है। वो हर चौखट पर दस्तक लगा चुकी है ताकि मदद मिल सके। परंतु अब तक निराशा ही हाथ लगी है। पीड़िता ने बताया कि विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस केस में आपको मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए सात सालों तक इंतजार करना पड़ेगा। 
जानिए क्या है नियम ।
   आमतौर पर, यदि कोई व्यक्ति लापता  है, तो उसे लापता होने की तारीख से सात सालों की समाप्ति पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107 और 108 के तहत अदालत द्वारा मृत घोषित किये जाने के बाद मृत्यु का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है। ऐसे में  नियम के जंजाल में एक विधवा बेचारी परेशान है। अब देखना यह होगा कि डालसा इस मामले में क्या फैसला लेती है।